मानसिक बीमारी और अंधविश्वास
वह कहता ही रह गया
मरे हुए बापु जी नजर आते हैं ।
वह अकेले हैं
और अपने पास बुलाते हैं।
समझाने वाले बहुत मिले उसे
पर समझने वाला कोई ना मिला।
जब उसने फिर से दुहराया
की मरे हुए बापू जी नजर आते हैं।
लोगो ने उसको ठुकराया
मन्दिर मस्जिद में उसका दाखला भी करवाया।
और उसे बावला भी ठहराया।
अब क्या सही होने वाला है
दस्तूर यहां की कुछ ऐसी ही है।
झाड फूँक और अंधविश्वास ने रिश्तों को मार डाला है।
मैं यह नहीं कहती की ऊपर वाला नहीं है
पर खुद को मार डालना भी तो सही नहीं है ।
यह कह कर देखा की यह मानसिक बीमारी है
सब कहने लगे देखो एक और बावली खड़ी है।
हंसी भी आती है और दुख भी होता है यह सुनकर
ना जाने कब यह लोग समझेंगे
झाड़ फूँक को छोड़ अस्पताल की ओर बढ़ेंगे।
By :Sukanya,
PhD Scholar, Dept of Psychiatric Social Work, NIMHANS, Bengaulru